अलास्का: वो अनोखी जगह जहां ट्रंप-पुतिन मिलेंगे, जानिए इसका रोचक इतिहास

“जानें क्यों अलास्का में हो रही है ट्रंप-पुतिन मुलाकात! रूस ने इसे क्यों बेचा, कैसे बना अमेरिका का हिस्सा, और आज क्यों है दुनिया के लिए महत्वपूर्ण – पूरी कहानी।”

अलास्का: वो अनोखी जगह जहां ट्रंप-पुतिन मिलेंगे, जानिए इसका रोचक इतिहास
अलास्का: वो अनोखी जगह जहां ट्रंप-पुतिन मिलेंगे, जानिए इसका रोचक इतिहास

 

15 अगस्त को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात अलास्का में होनी है। यह खबर सुनकर कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर यह अलास्का है कहां? और क्यों इसी जगह को दोनों नेताओं की बैठक के लिए चुना गया?

अलास्का की कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। यह वो जगह है जो कभी रूस का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन आज अमेरिका के पास है। कैसे और क्यों रूस ने इसे अमेरिका को बेच दिया? इसका सामरिक महत्व क्या है? आइए, विस्तार से जानते हैं।


अलास्का कहां स्थित है?

अलास्का अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह अमेरिकी मुख्यभूमि से अलग है। यह कनाडा के पश्चिम में स्थित है और रूस से सिर्फ बेरिंग जलडमरूमध्य (Bering Strait) के द्वारा अलग होता है। रूस और अलास्का के बीच की दूरी महज 88 किलोमीटर है!

इसकी राजधानी जूनो है, लेकिन सबसे बड़ा शहर एंकरेज है, जहां ट्रंप और पुतिन की बैठक होने वाली है।

Map showing Alaska's location between Russia and North America
Map showing Alaska’s location between Russia and North America

अलास्का का इतिहास: कैसे रूस से अमेरिका के हाथ में आया?

1. रूस का कब्जा (1700s)

अलास्का पर सबसे पहले रूस ने कब्जा किया। 18वीं सदी में रूसी खोजकर्ता यहां आए और फर (Fur) के व्यापार के लिए बस्तियां बसाईं। उस समय समुद्री ऊदबिलाव (Sea Otters) की खाल की काफी मांग थी, जो यहां बड़ी संख्या में पाए जाते थे।

रूस ने इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेने के लिए रूसी-अमेरिकी कंपनी बनाई, जिसने यहां व्यापार और शासन चलाया। उन्होंने सिटका शहर बसाया, जो आज भी अलास्का का एक प्रमुख शहर है।

2. रूस को क्यों छोड़ना पड़ा अलास्का?

19वीं सदी तक रूस की हालत खराब होने लगी। 1853-56 का क्रीमिया युद्ध में रूस को ब्रिटेन और फ्रांस से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद रूस को पैसों की किल्लत हो गई।

इसी दौरान रूस को डर था कि कहीं ब्रिटेन अलास्का पर कब्जा न कर ले। ऐसे में रूस ने फैसला किया कि बेहतर होगा कि इसे अमेरिका को बेच दिया जाए

3. अमेरिका ने खरीदा अलास्का – “सेवर्ड्स फॉली” (1867)

30 मार्च 1867 को अमेरिका ने रूस से अलास्का को 72 लाख डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 12 करोड़ डॉलर) में खरीद लिया। उस समय अमेरिका के विदेश मंत्री विलियम एच. स्यूअर्ड ने यह डील की, जिस पर कई लोगों ने सवाल उठाए।

कई अमेरिकियों को लगा कि यह “बर्फ से ढका बेकार जमीन” है और स्यूअर्ड ने पैसे बर्बाद किए। इसे “सेवर्ड्स फॉली” (Seward’s Folly) यानी “स्यूअर्ड की मूर्खता” कहा जाने लगा।

4. सोने और तेल की खोज ने बदली किस्मत

लेकिन 1890 के दशक में अलास्का में सोने की खानें मिलीं, और फिर तेल के भंडार भी खोजे गए। आज अलास्का अमेरिका के लिए एक बेशकीमती खजाना है। यहां से मिलने वाला तेल और प्राकृतिक संसाधन अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।


अलास्का का सामरिक महत्व

1. रूस और अमेरिका के बीच रणनीतिक स्थान

अलास्का, रूस और अमेरिका के बीच एक बफर जोन की तरह काम करता है। शीत युद्ध (Cold War) के दौरान यहां अमेरिका ने कई मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाए, ताकि रूसी हमले को रोका जा सके।

2. सैन्य अड्डे

अलास्का में अमेरिका के कई मिलिट्री बेस हैं, जैसे:

  • जॉइंट बेस एल्मेनडॉर्फ-रिचर्डसन (वही जहां ट्रंप-पुतिन मिलेंगे)

  • ईल्सन एयर फोर्स बेस

  • फोर्ट ग्रीली

यहां से अमेरिका एशिया और यूरोप पर नजर रखता है।

3. आर्कटिक में अमेरिकी दावेदारी

जलवायु परिवर्तन की वजह से आर्कटिक में बर्फ पिघल रही है, जिससे नए शिपिंग रूट्स और तेल भंडार मिलने की संभावना है। अलास्का की वजह से अमेरिका आर्कटिक में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।


ट्रंप-पुतिन की बैठक के लिए अलास्का ही क्यों?

  1. तटस्थ स्थान: अलास्का न तो पूरी तरह अमेरिका का “मुख्य” हिस्सा है और न ही रूस का। इसलिए यह एक न्यूट्रल जोन की तरह काम करता है।

  2. सुरक्षा कारण: पुतिन पर ICC (अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय) ने वारंट जारी किया है। अमेरिका ICC का सदस्य नहीं है, इसलिए अलास्का में पुतिन सुरक्षित हैं।

  3. आसान पहुंच: रूस से अलास्का की दूरी बहुत कम है, इसलिए पुतिन के लिए यात्रा करना आसान है।


क्या रूस अलास्का वापस लेना चाहता है?

कुछ रूसी नेता और आम लोग अलास्का को वापस पाने की बात करते हैं। 2022 में एक रूसी सांसद ने तो “अलास्का वापस लो” अभियान भी चलाया था!

लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया है कि “अलास्का बिक चुका है, और यह हमेशा अमेरिका का ही रहेगा।”


निष्कर्ष: अलास्का – एक ऐसी जगह जिसने इतिहास बदल दिया

अलास्का की कहानी सुनकर लगता है कि कभी-कभी छोटे से फैसले इतिहास की दिशा बदल देते हैं। रूस ने इसे “बेकार जमीन” समझकर बेच दिया, लेकिन आज यह अमेरिका के लिए सोने की चिड़िया बन चुका है।

अब देखना यह है कि 15 अगस्त को ट्रंप-पुतिन की बैठक क्या नया इतिहास लिखेगी? क्या रूस और अमेरिका के रिश्तों में नया मोड़ आएगा? यह तो वक्त ही बताएगा।

आपकी राय?
क्या आपको लगता है कि अलास्का को अमेरिका ने सस्ते में खरीद लिया? कमेंट में बताएं!

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