एक साल में निवेशकों का पैसा हुआ दोगुना

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने पिछले 12 महीनों में शेयर बाजार में ऐतिहासिक कमाल किया है। कंपनी के शेयरों ने 101% का शानदार रिटर्न देकर निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया। यह उछाल कंपनी की कर्जमुक्त बैलेंस शीट, क्रेडिट रेटिंग में बड़े सुधार और रक्षा क्षेत्र में मिले नए ठेकों का नतीजा है। हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में ₹5,000 करोड़ फंड जुटाने की मंजूरी मिलने के बाद शेयर ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। विश्लेषक मानते हैं कि यह सफर अभी जारी रहेगा।
टेक्निकल संकेत बता रहे हैं: अभी और तेजी संभव
शेयर की कीमत अभी ₹400 के पार स्थिरता के साथ ट्रेड कर रही है। टेक्निकल विशेषज्ञ बताते हैं कि यह सभी प्रमुख मूविंग एवरेज से ऊपर है जो तेजी का संकेत है। शेयर के लिए ₹380-395 का स्तर अहम सपोर्ट माना जा रहा है जबकि ₹440 तत्काल प्रतिरोध स्तर है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह शेयर ₹440 के स्तर को तोड़ता है तो अगला लक्ष्य ₹500 का मनोवैज्ञानिक स्तर हो सकता है। तकनीकी संकेतकों में आरएसआई और मैक्डी जैसे टूल्स भी तेजी की पुष्टि कर रहे हैं।
क्रेडिट रेटिंग में ऐतिहासक सुधार
कंपनी की वित्तीय सेहत में आया बड़ा बदलाव तब उजागर हुआ जब रेटिंग एजेंसी ने इसकी क्रेडिट रेटिंग में तीन स्तरों की एक साथ बढ़ोतरी की। यह अपग्रेड छह साल बाद आया है और इसने कंपनी को ‘डिफॉल्ट’ श्रेणी से बाहर निकाला है। यह सुधार कंपनी के कर्जमुक्त होने और बैलेंस शीट मजबूत करने की रणनीति का सीधा नतीजा है। वित्तीय संस्थानों के साथ अब कंपनी का नेट डेट शून्य है जो निवेशकों के लिए बड़ी सकारात्मक खबर है।
वित्तीय प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार
पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने आश्चर्यजनक बदलाव दिखाया है। जहां एक तरफ कंपनी को पिछली तिमाई में भारी घाटा उठाना पड़ा था वहीं नवीनतम तिमाही में उसने ₹4,387 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया। कंपनी की परिचालन कमाई में 681% की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसी अवधि में कंपनी की शुद्ध संपत्ति में 44% का उछाल आया जो व्यापारिक नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है।
रक्षा क्षेत्र में बड़ी जीत
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को हाल ही में रक्षा मंत्रालय से 5,000 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण ठेका मिला है। यह भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के उन्नयन से संबंधित प्रोजेक्ट है। इस परियोजना की खास बात यह है कि रिलायंस इंफ्रा ऐसा ठेका पाने वाली पहली निजी भारतीय कंपनी बन गई है। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कई साल लगेंगे जिससे कंपनी को दीर्घकालिक राजस्व मिलने की उम्मीद है। इससे संबंधित उपकरणों का काम नागपुर स्थित विशेष केंद्र पर किया जाएगा।
नई योजनाओं के लिए फंड जुटाने की तैयारी
हाल में हुई बोर्ड बैठक में कंपनी ने नई परियोजनाओं के लिए ₹5,000 करोड़ जुटाने का फैसला किया है। इसके लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है जिनमें संस्थागत निवेशकों को शेयर बेचना, डिबेंचर जारी करना या परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण शामिल है। यह फंड कंपनी को नए बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स जैसे एक्सप्रेसवे और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के लिए जरूरी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम कंपनी की विकास यात्रा को नई गति देगा।
प्रतिस्पर्धियों से तुलना में बाजी मारी
अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में रिलायंस इंफ्रा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। जहां कुछ प्रमुख बुनियादी ढांचा कंपनियों ने पिछले साल 40-70% रिटर्न दिया वहीं रिलायंस इंफ्रा ने 101% रिटर्न का कीर्तिमान बनाया। अन्य कंपनियों के उलट इसका कर्ज-से-इक्विटी अनुपात शून्य है जो निवेशकों के लिए आकर्षण का प्रमुख कारण बना हुआ है। कंपनी का मूल्यांकन भी प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम है जो इसे निवेश के लिहाज से आकर्षक बनाता है।
अनिल अंबानी समूह की अन्य कंपनियों में भी सुधार
रिलायंस इंफ्रा की सफलता समूह की अन्य कंपनियों के लिए भी अच्छे संकेत हैं। समूह की बिजली कंपनी ने भी हाल में मुनाफा दर्ज किया है और उसका व्यापार विस्तार करने की योजना है। वित्तीय सेवाओं से जुड़ी कंपनी के पुनर्गठन की योजना को भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। टेलीकॉम क्षेत्र में समूह की कंपनी भी नई तकनीकों के साथ वापसी की तैयारी कर रही है।
निवेशक इन जोखिमों पर दें ध्यान
हालांकि कंपनी की प्रगति उत्साहजनक है लेकिन कुछ जोखिमों पर नजर रखना जरूरी है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में देरी हो सकती है। इस्पात और सीमेंट जैसे कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से लाभ मार्जिन प्रभावित हो सकता है। बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी चुनौती बन सकती है। इन सबके बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कंपनी के मौलिक सुधार इन चुनौतियों से निपटने की क्षमता रखते हैं।
विशेषज्ञों की सलाह: खरीदें या होल्ड करें?
प्रमुख दलाल फर्मों ने इस शेयर को लेकर सकारात्मक राय जारी की है। एक प्रमुख फर्म ने शेयर के लिए ₹500 का लक्ष्य रखते हुए ‘खरीद’ की सिफारिश की है। दूसरी कंपनी निवेशकों से शेयर जमा करने को कह रही है। तीसरी फर्म का मानना है कि दीर्घकालिक निवेशकों को शेयर होल्ड करना चाहिए क्योंकि आने वाले समय में लाभांश मिलने की संभावना है। सभी का मानना है कंपनी का आगामी तिमाही परिणाम भी सकारात्मक रहने वाला है।
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