Narak Chaturdashi 2025: छोटी दिवाली पर घूमने लायक बेस्ट तीर्थ स्थल, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

छोटी दिवाली 2025: सिर्फ घर में दीये न जलाएं, इन 6 तीर्थों पर करें स्नान-दान, मिट जाएंगे सारे पाप!
दोस्तों, दिवाली का त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि पांच दिनों का एक पूरा उत्सव है। इसी उत्सव का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है Narak Chaturdashi, जिसे हम सब ‘छोटी दिवाली’ के नाम से भी जानते हैं। यह दिन सिर्फ घर की साफ-सफाई और दीये जलाने का ही नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध करके 16,000 कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराया था।
यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान (तेल लगाकर स्नान) करने और यमराज के नाम का दीया जलाने से नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन के सारे अंधकार दूर हो जाते हैं।
इस साल, अगर आप छोटी दिवाली को सिर्फ घर पर ही नहीं, बल्कि एक यादगार और आध्यात्मिक अनुभव के साथ मनाना चाहते हैं, तो क्यों न परिवार के साथ किसी पवित्र तीर्थ स्थल की यात्रा की जाए? भारत में कुछ ऐसी दिव्य जगहें हैं, जहां नरक चतुर्दशी का पर्व एक अलग ही भव्यता और आस्था के साथ मनाया जाता है। चलिए, जानते हैं उन 6 पावन स्थलों के बारे में।
1. द्वारका, गुजरात: जहां स्वयं विराजते हैं द्वारकाधीश
जब बात भगवान श्रीकृष्ण की हो, तो उनकी नगरी द्वारका का नाम सबसे पहले आता है। नरक चतुर्दशी का पर्व यहां के लिए बेहद खास है, क्योंकि यह सीधे तौर पर श्रीकृष्ण की विजय से जुड़ा है। इस दिन द्वारकाधीश मंदिर को हजारों दीयों से सजाया जाता है और भगवान का विशेष अभिषेक होता है। समुद्र के किनारे बसे इस मंदिर में जब शाम को आरती होती है और चारों तरफ दीये टिमटिमाते हैं, तो ऐसा लगता है मानो साक्षात स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। यहां आकर आप उस विजय के उत्सव का हिस्सा बन सकते हैं।
2. मथुरा-वृंदावन, उत्तर प्रदेश: कान्हा की लीला भूमि
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और प्रेम की भूमि, मथुरा-वृंदावन में हर त्योहार का एक अलग ही रंग होता है। नरक चतुर्दशी के दिन यहां के घाटों और मंदिरों में विशेष दीपदान किया जाता है। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यमुना नदी में पवित्र स्नान करके और मंदिरों में भजन-कीर्तन में शामिल होकर आपको एक अलग ही मानसिक शांति और भक्ति का अनुभव होगा।
3. वाराणसी, उत्तर प्रदेश: मोक्ष की नगरी में पापों से मुक्ति
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी, यानी वाराणसी, में गंगा स्नान का महत्व हमेशा से ही रहा है। लेकिन नरक चतुर्दशी के दिन यहां गंगा में डुबकी लगाना और भी पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए सारे पाप धुल जाते हैं। शाम के समय जब गंगा के 84 घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं और विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती है, तो वह नजारा किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है।
4. उज्जैन, मध्य प्रदेश: महाकाल की नगरी में अकाल मृत्यु का भय दूर
काल के देवता महाकाल की नगरी उज्जैन में नरक चतुर्दशी का दिन यमराज की पूजा से भी जुड़ा है। यहां भक्त महाकालेश्वर मंदिर में विशेष भस्म आरती और महापूजा में शामिल होते हैं। माना जाता है कि महाकाल के दर्शन करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। क्षिप्रा नदी के तट पर स्नान करके और यम के नाम का दीया जलाकर लोग अपने और अपने परिवार के लिए लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
5. हरिद्वार, उत्तराखंड: हर की पौड़ी पर दीपदान का पुण्य
गंगा नदी का द्वार, हरिद्वार, भारत के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। नरक चतुर्दशी के दिन यहां हर की पौड़ी पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का विशेष महत्व है। हजारों श्रद्धालु यहां गंगा में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। शाम के समय जब गंगा आरती होती है और भक्त बहती गंगा में दीये प्रवाहित करते हैं, तो वह दृश्य जीवन भर के लिए आपकी यादों में बस जाएगा।
6. तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश: भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद
दक्षिण भारत में, तिरुपति बालाजी मंदिर नरक चतुर्दशी के दिन आस्था का एक बड़ा केंद्र होता है। यहां भक्त भगवान विष्णु के अवतार, श्री वेंकटेश्वर की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन यहां भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है और बड़े पैमाने पर अन्नदान भी होता है। यहां आकर आप भक्ति और सेवा, दोनों का पुण्य एक साथ कमा सकते हैं।

विशेष अनुष्ठान और दिनचर्या
-
अभ्यंग स्नान (Oil Bath):
सुबह सूर्योदय से पहले उबटन (तिल, चावल, हल्दी, हर्बल सामग्री) लगाकर स्नान करना शुभ माना जाता है। -
नए वस्त्र पहनना एवं तिलक लगाना:
स्नान के बाद नए कपड़े पहनना और आँखों में kajal लगाना सामान्य प्रथा है। -
दीपदान एवं पूजा:
शाम को घरों में, मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं। पूजा में तिल, चावल, हल्दी, फूल, और प्रसाद (भात, गुड़, नारियल) चढ़ाया जाता है। -
दान और सेवा:
इस दिन ब्राह्मण को भोजन देना, कपड़े देना या किसी नेक कार्य में खर्च करना शुभ माना जाता है। -
यमदान / यमदीपदान:
रात को यमराज की पूजा एवं दीप देना, सजल दीपों से अंधकार भगाना।
शुभ मुहूर्त
-
अभ्यंग स्नान का समय: 5:16 AM – 6:27 AM के बीच शुभ माना गया है।
-
Narak Chaturdashi चतुर्दशी तिथि: 19 अक्टूबर 1:51 PM से शुरू होकर 20 अक्टूबर 3:44 PM तक चलेगी।
कुछ सुझाव
-
तीर्थ स्थल पर जाने से पहले यात्रा की सुविधा, मौसम और स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
-
सुबह के समय पूजा-अनुष्ठान करना अधिक पुण्यदायी माना जाता है।
-
यात्रा के दौरान शांतिपूर्ण वातावरण, मास्क या सामाजिक दूरी जैसे नियमों का पालन करें।
-
मंदिरों में जूते, अहानिकारक वस्तुएँ और गैर ज़रूरी समान न ले जाने की सलाह है।
निष्कर्ष
Narak Chaturdashi 2025 न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण, पापों की क्षमा और अच्छे कर्मों की शुरुआत का अवसर है। यदि इस दिन आप तीर्थ यात्रा करने जाएँ, तो ऊपर बताये गए पवित्र स्थलों में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं।
इन तीर्थ स्थलों पर जाकर आप न सिर्फ धार्मिक अनुभव पायेंगे, बल्कि अपने जीवन के अंधकार को भी कुछ हद तक दूर कर पाएँगे।
ॐ जय श्री कृष्ण, ॐ कामना है कि आपकी यात्रा और पूजा सफल हो और आपके जीवन में प्रकाश और शांति आए।
तो इस छोटी दिवाली, अपने घर को तो रोशन करें ही, साथ ही इन पवित्र स्थलों की यात्रा करके अपनी आत्मा को भी भक्ति और शांति के प्रकाश से भरें। यह यात्रा आपके परिवार के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।
Also Read :- भारत की 5 सबसे महंगी कारें और उनके चर्चित मालिक – Rolls Royce से McLaren तक
सोना ₹1.20 लाख के पार, चांदी भी चढ़ी रफ़्तार: निवेश में ये 5 गलतियां न करें वरना होगा नुकसान
