अमरनाथ यात्रा 2025: जब विदेशी श्रद्धालुओं ने शिव में देखी ब्रह्मांडीय ऊर्जा
श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर।
हर साल लाखों लोग बाबा बर्फानी के दर्शन करने अमरनाथ यात्रा पर निकलते हैं। लेकिन इस बार की यात्रा कुछ खास रही। खास इसलिए क्योंकि इस बार अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और स्पेन जैसे देशों से आए श्रद्धालुओं ने भी इस पवित्र गुफा तक पहुंचकर भगवान शिव के सामने सिर झुकाया। इन श्रद्धालुओं ने न सिर्फ यात्रा की कठिनाइयों को स्वीकार किया, बल्कि इस अनुभव को जीवनभर के लिए यादगार बताया।

कठिन रास्ता, लेकिन मन को छू लेने वाला अनुभव
विदेशी श्रद्धालुओं के लिए अमरनाथ यात्रा कोई टूरिस्ट ट्रिप नहीं थी। यह उनके लिए एक साधना, एक आध्यात्मिक खोज थी। कुछ श्रद्धालु पैदल चले, कुछ ने पालकी या घोड़े का सहारा लिया। लेकिन सबका मकसद एक ही था — उस गुफा तक पहुंचना जहां प्रकृति स्वयं शिव के रूप में विराजमान है।
कनाडा से आए रॉस नॉर्मन लीच ने कहा, “गुफा में पहुंचते ही मेरी आंखों से आंसू बहने लगे। भीतर एक अनोखी शांति थी, जैसे कोई पुरानी पहचान फिर से मिल गई हो।” उन्होंने बताया कि वो पिछले 4-5 सालों से इस यात्रा की तैयारी कर रहे थे।
योग और साधना से शिव की ओर खिंचाव
ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका और अन्य देशों से आए इन श्रद्धालुओं का कहना था कि वे पिछले कई वर्षों से योग और ध्यान के माध्यम से शिव ऊर्जा से जुड़ते आ रहे हैं। लेकिन अमरनाथ की गुफा में प्रवेश करना उनके लिए एक नई शुरुआत की तरह था।

स्पेन से आईं मारिया इसाबेल ने कहा, “यह कोई साधारण तीर्थ नहीं, यह एक चेतना का प्रवेशद्वार है।” वहीं अमेरिका से आईं लारा ईव ने कहा, “शिव, शक्ति, गणेश या हनुमान — ये केवल किसी धर्म के प्रतीक नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा हैं।”
कश्मीरियों का आतिथ्य भी बना यादगार हिस्सा
इन श्रद्धालुओं ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन, स्थानीय लोगों और सेवा दलों द्वारा दी गई सहायता की दिल से सराहना की। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें सुरक्षा, भोजन, और विश्राम जैसी सुविधाएं सहज रूप से मिलीं। “कश्मीर के लोगों की मेहमाननवाज़ी भी इस यात्रा का एक खूबसूरत हिस्सा रही,” यह कहना था ऑस्ट्रेलिया से आए जान जोसेफ का।
अमरनाथ यात्रा: एक आंतरिक सफर
इस यात्रा को सिर्फ पहाड़ों की चढ़ाई या मंदिर के दर्शन तक सीमित नहीं किया जा सकता। यह एक आत्मिक अनुभव है, जो व्यक्ति को उसकी आंतरिक यात्रा पर ले जाता है। शायद इसीलिए विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इसे श्रद्धा, सेवा और मौन का संगम बताया।
निष्कर्ष
अमरनाथ यात्रा हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक होती है, लेकिन इस बार यह अंतरराष्ट्रीय भावना का भी हिस्सा बन गई। विदेशी श्रद्धालुओं ने शिव को किसी धर्म की सीमा में नहीं, बल्कि पूरे विश्व की ऊर्जा के रूप में देखा — यह सोच अमरनाथ यात्रा की असल पहचान को और मजबूत करती है।
#WATCH | J&K | 9 young foreign devotees from six countries, including US and Germany, undertook the Amarnath Yatra via the Baltal Route. Visuals from outside the holy Amarnath Cave.
(Source: J&K DIPR) pic.twitter.com/1y7RoLWsAo
— ANI (@ANI) July 24, 2025
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