हरियाली अमावस्या 2025: तिथि और खगोलीय महत्व
24 जुलाई 2025 (गुरुवार) को सावन मास की अमावस्या, जिसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस बार यह तिथि दो दिवसीय है – 23 जुलाई शाम 6:42 से 24 जुलाई शाम 4:01 तक। खास बात यह है कि इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र और शिववास योग का संयोग बन रहा है, जो पितृ कृपा और शिव आशीर्वाद दोनों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

पौराणिक महत्व: क्यों मनाते हैं हरियाली अमावस्या?
पद्म पुराण के अनुसार, सावन मास में अमावस्या पर पितृ धरती पर आते हैं। हरियाली अमावस्या का नाम मानसून की हरियाली से पड़ा, जो प्रकृति और पूर्वजों के बीच आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक है। कथा है कि राजा हरिश्चंद्र ने इस दिन तपस्या कर पितृ दोष से मुक्ति पाई थी।
दान का विज्ञान: क्यों जरूरी है दान?
गरुड़ पुराण (अध्याय 15) कहता है: “अमावस्या पर किया गया दान पितृों तक सीधा पहुँचता है।” वैज्ञानिक दृष्टि से मानसून में दान की गई वस्तुएँ (जैसे छाता, जूते) जरूरतमंदों के लिए राहत का साधन बनती हैं। साथ ही, तिल व उड़द जैसे प्रोटीन युक्त अन्न कुपोषण दूर करते हैं।
7 शुभ दान और उनके चमत्कारी प्रभाव
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काला तिल – पितृ दोष दूर करता है। विधि: तिल + गुड़ का पैकेट बनाकर दान करें।
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हरा वस्त्र/छाता – आयु बढ़ाता है। रंग: सफेद या हरा, कपास/जूट का हो।
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जूते-चप्पल – कर्मफल में बाधा दूर करते हैं। चमड़े के बजाय रबर/कपड़े के दान करें।
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साबुत उड़द – शनि दोष शांत करता है। काले उड़द को लाल कपड़े में बांधकर दें।
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दही-चीनी – संतान सुख देता है। चीनी के साथ 500 ग्राम दही दान करें।
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कंबल/चादर – स्वास्थ्य रक्षा करता है। सर्दियों की तैयारी के रूप में उपयोगी।
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नीम/पीपल का पौधा – पर्यावरण संरक्षण के साथ पितृ तृप्ति (आधुनिक जोड़)।
पूर्ण पूजा विधि: स्टेप बाय स्टेप गाइड
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सुबह 5:30 बजे: गंगाजल मिले जल से स्नान।
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तर्पण विधि: काले तिल, जौ और कुशा घास से पितृों का नाम लेकर जल अर्पित करें।
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शिव पूजा: ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ दूध-बेलपत्र से अभिषेक।
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दान काल: सुबह 7:00 से 9:00 बजे (अभिजीत मुहूर्त)।
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विशेष नियम: दान करते समय यह मंत्र बोलें – “इदं पितृभ्यः स्वधा नमः”।
कुंडली दोष निवारण हेतु विशेष दान
दोष | दान सामग्री | मंत्र |
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पितृ दोष | काले तिल + गुड़ | ॐ पितृदेवाय नमः |
शनि दोष | उड़द + सरसों तेल | ॐ शं शनैश्चराय नमः |
राहु-केतु | नारियल + सुपारी | ॐ रां राहवे नमः |
आधुनिक संदर्भ: पर्यावरण अनुकूल दान के तरीके
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डिजिटल दान: गूगल पे/पेटीएम से वृक्षारोपण संस्थाओं को दान।
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सामूहिक पहल: सोशल मीडिया पर #GreenAmavasya अभियान चलाकर पौधे बाँटना।
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सतत उपयोग: पुराने कपड़ों को रिसाइकल कर कंबल बनवाकर दान करना।
सावधानियाँ: इन गलतियों से बचें
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प्लास्टिक की बोतल/थैलियाँ कभी न दान करें (पर्यावरण हानि)।
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रात्रि में दान न करें (पितृ तिथि समाप्त मानी जाती है)।
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क्रोधित या अयोग्य व्यक्ति को दान न दें (गरुड़ पुराण निर्देश)।
2025 का शुभ मुहूर्त
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अमावस्या तिथि: 23 जुलाई 6:42 PM से 24 जुलाई 4:01 PM
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दान श्रेष्ठ काल: 24 जुलाई सुबह 5:45 से 9:30
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तर्पण समय: सूर्योदय के 1 घंटे के भीतर
पूछे जाने वाले प्रश्न
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क्या महिलाएँ तर्पण कर सकती हैं?
हाँ, शक्तिसूक्तम के अनुसार पुत्री/पत्नी भी तर्पण कर सकती हैं। -
यदि तिथि भूल जाएँ तो?
अगले शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे गुड़-तिल दान करें।
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