जहां परिंदा भी नहीं मार सकता था पर, वहां से भागे 3 कैदी: अलकाट्राज़ जेल का रहस्यमयी किस्सा

दुनिया में कई जेलें ऐसी रही हैं जिन्हें तोड़ना या उनसे भागना नामुमकिन माना जाता था। लेकिन इतिहास गवाह है कि जब इंसान आज़ादी के लिए जिद पर उतर आए तो बड़े से बड़ा किला भी ढह जाता है। ऐसी ही एक कहानी है अलकाट्राज़ जेल (Alcatraz Prison) की, जिसे अमेरिका की सबसे सुरक्षित जेल कहा जाता था।
सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के बीचो-बीच बने इस छोटे से द्वीप पर स्थित यह जेल 1934 से 1963 तक कुख्यात अपराधियों का घर रही। कहा जाता था – “यहां से परिंदा भी पर नहीं मार सकता।” लेकिन जून 1962 की एक रात ने इस दावे को हमेशा के लिए झुठला दिया।
अलकाट्राज़ जेल: जहां डर ही सुरक्षा थी
अलकाट्राज़ जेल पूरी तरह पानी से घिरे एक द्वीप पर बनी थी। चारों तरफ गहरा, ठंडा और तेज़ धार वाला समुद्र। ऊपर से शार्क का डर। यही कारण था कि इसे अभेद्य माना जाता था। गार्ड्स और पुलिस का मानना था कि यहां से कोई भागने की सोच भी नहीं सकता।
माफिया डॉन अल कैपोन जैसे बड़े अपराधियों को भी यहीं रखा गया। हर कैदी को लोहे की जाली से घिरी छोटी-सी कोठरी में बंद किया जाता था। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।
तीन कैदियों की कहानी
11 जून 1962 की रात को इस जेल की सुरक्षा व्यवस्था हिल गई। तीन कैदी –
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फ्रैंक मॉरिस (Frank Morris) – बेहद चालाक और दिमागी अपराधी
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क्लेरेंस एंगलिन (Clarence Anglin) – बैंक लुटेरा
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जॉन एंगलिन (John Anglin) – क्लेरेंस का भाई और उसका साथी
इन तीनों ने महीनों की प्लानिंग के बाद ऐसी चाल चली कि जेल प्रशासन के होश उड़ गए।

कागज, चम्मच और बाल से बना रास्ता
भागने के लिए इन कैदियों ने हथियार या बम का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने चम्मच, छोटे औज़ार और यहां तक कि टूटे हुए ड्रिल से अपनी कोठरियों की दीवारें खोदनी शुरू कीं।
धीरे-धीरे दीवार में इतना बड़ा छेद बना दिया कि कोई इंसान उसमें से निकल सके। लेकिन सबसे मुश्किल था गार्ड्स को धोखा देना।
इसके लिए उन्होंने साबुन, प्लास्टर और असली बालों से नकली सिर बनाए। रात में जब गार्ड्स चेक करते तो उन्हें लगता कि कैदी सो रहे हैं, जबकि असल में वे दीवार के पीछे से बाहर निकल चुके होते।
फरारी की रात
11 जून 1962 की रात को तीनों कैदी तैयार थे। उन्होंने अपनी योजना के मुताबिक काम किया। पहले वे दीवार के छेद से निकले। फिर वेंटिलेशन शाफ्ट के जरिए जेल की छत तक पहुंचे। वहां से उतरकर वे समुद्र तट पर पहुंचे। उन्होंने पहले से तैयार की गई रबर की नाव को हवा भरी। यह नाव उन्होंने रेनकोट को चिपकाकर बनाई थी। रात के अंधेरे में वे ठंडे पानी में उतर गए। उनके पास संगीत के वाद्ययंत्र भी थे, जिन्हें वे नाव की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे।
उन्होंने पहले से बनाए हुए रेनकोट के राफ्ट और लाइफ जैकेट निकाले। इन रेनकोट्स को जोड़कर उन्होंने एक inflatable नाव बना ली थी। इसके बाद वे समुद्र के ठंडे और खतरनाक पानी में उतर गए।

सुबह जब गार्ड्स ने कैदियों को चेक किया तो बेड पर सिर्फ नकली सिर मिले। हड़कंप मच गया।
जांच और रहस्य
अगली सुबह जब गार्ड्स ने कोठरियों की जांच की, तो उन्हें नकली सिर मिले। जेल में हड़कंप मच गया। तुरंत खोज अभियान शुरू किया गया। समुद्र में और आसपास के इलाकों में खोजबीन की गई। कुछ दिनों बाद एक वॉटरप्रूफ बैग मिला, जिसमें कैदियों की कुछ चीजें थीं। लेकिन कैदी नहीं मिले। कुछ लोगों का मानना है कि वे समुद्र में डूब गए, जबकि कुछ का कहना है कि वे भागने में सफल रहे।तुरंत कोस्ट गार्ड, पुलिस और एफबीआई ने बड़े पैमाने पर खोज अभियान शुरू किया। आसपास के पानी में घंटों तलाश की गई।
कुछ दिनों बाद तट पर एक वॉटरप्रूफ बैग और कुछ निजी सामान मिला। लेकिन न तीनों कैदियों का कोई सुराग मिला और न ही उनके शव।
एफबीआई ने करीब 17 साल तक इस केस की जांच की और 1979 में आधिकारिक रूप से यह कह दिया कि संभवतः तीनों कैदी समुद्र की ठंडी लहरों और तेज धार में बहकर डूब गए।
लेकिन सच आज तक कोई नहीं जान पाया।
क्या सचमुच वे जिंदा बचे?
यह सवाल अब भी इतिहास का हिस्सा है। कई लोगों का मानना है कि ये कैदी सफलतापूर्वक भाग गए और आज़ाद जिंदगी जीते रहे।
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एंगलिन ब्रदर्स ब्राजील में देखे गए थे। 2013 में एफबीआई को एक पत्र भी मिला जिसमें लिखा था – “मैं जॉन एंगलिन हूं और अभी जिंदा हूं।” हालांकि, इसकी पुष्टि कभी नहीं हो पाई।
अलकाट्राज़ का बंद होना
इस घटना के बाद अलकाट्राज जेल की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे। 1963 में इस जेल को बंद कर दिया गया। आज यह एक पर्यटन स्थल है। हर साल हजारों लोग इसे देखने आते हैं। फ्रैंक मॉरिस और एंगलिन भाइयों का क्या हुआ, यह आज भी एक रहस्य है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें ब्राजील में देखा गया, जबकि कुछ का मानना है कि वे समुद्र में खो गए। इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।इस घटना के बाद अलकाट्राज़ जेल की छवि कमजोर हो गई।

नतीजा
अलकाट्राज़ से तीन कैदियों का भागना सिर्फ एक जेल ब्रेक की कहानी नहीं है। यह इंसानी जिद, बुद्धिमानी और आज़ादी की चाह का सबसे बड़ा उदाहरण है।
क्या वे जिंदा बचे या समुद्र में डूब गए – यह सवाल अब भी रहस्य है। लेकिन इतना तय है कि उन्होंने साबित कर दिया कि कोई भी किला इतना मजबूत नहीं होता कि इंसान की आज़ादी की चाह उसे तोड़ न सके।
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