हरतालिका तीज: संपूर्ण व्रत विधि, महत्व और शिव-पार्वती की अद्भुत प्रेम कथा

हरतालिका तीज: संपूर्ण व्रत विधि, महत्व और शिव-पार्वती की अद्भुत प्रेम कथा

हरतालिका तीज: संपूर्ण व्रत विधि, महत्व और शिव-पार्वती की अद्भुत प्रेम कथा
हरतालिका तीज: संपूर्ण व्रत विधि, महत्व और शिव-पार्वती की अद्भुत प्रेम कथा

हिंदू धर्म में तीज के त्योहार का विशेष महत्व है, और हरतालिका तीज इनमें से एक प्रमुख त्योहार है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत के पीछे भगवान शिव और माता पार्वती की अद्भुत प्रेम कथा छिपी है, जो हर स्त्री को दृढ़ इच्छाशक्ति और विश्वास की शक्ति का संदेश देती है।

हरतालिका तीज का महत्व और महिमा

धार्मिक महत्व

हरतालिका तीज का व्रत सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है:

  • विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सुहाग की कामना करती हैं

  • अविवाहित कन्याएं मनचाहा सुयोग्य वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं

  • इस व्रत से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं

सामाजिक महत्व

हरतालिका तीज न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह स्त्री सशक्तिकरण का भी प्रतीक है। माता पार्वती की तपस्या और दृढ़ संकल्प हर स्त्री को अपने लक्ष्य के प्रति सतर्क और संकल्पित रहने की प्रेरणा देती है।

विस्तृत पूजन विधि

व्रत से पहले की तैयारियाँ

  1. मानसिक तैयारी: व्रत से एक दिन पहले से ही मन को शांत रखें और पवित्र विचारों का ध्यान करें

  2. सामग्री एकत्रित करें:

    • बालू या मिट्टी (शिवलिंग निर्माण के लिए)

    • केले के पत्ते और डंडे (मंडप निर्माण के लिए)

    • फूल, धूप, दीप, अगरबत्ती

    • फल, मिठाई और पंचामृत

    • कुमकुम, हल्दी, चावल, रोली

    • नारियल, सुपारी, केला

Hartalika Teej
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व्रत के दिन की विधि

  1. प्रातःकाल:

    • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें

    • स्वच्छ वस्त्र धारण करें

    • व्रत का संकल्प लें

  2. दिनचर्या:

    • दिनभर निराहार रहें (कुछ स्थानों पर फलाहार की अनुमति है)

    • मन को भगवान शिव और माता पार्वती में लगाएं

    • भजन-कीर्तन करें

  3. संध्या समय पूजन तैयारी:

    • बालू या मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाएं

    • केले के पत्तों और डंडों से मंडप तैयार करें

    • मंडप को फूलों और रंगोली से सजाएं

  4. विधिवत पूजन:

    • सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें

    • फिर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें

    • षोडशोपचार पूजन करें:

      • आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य

      • आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत

      • गंध, पुष्प, धूप, दीप

      • नैवेद्य, ताम्बूल, आरती, प्रदक्षिणा

      • प्रार्थना, नमस्कार, विसर्जन

  5. रात्रि जागरण:

    • रातभर जागकर भजन-कीर्तन करें

    • कथा पाठ करें

    • माता पार्वती की आरती करें

  6. अगले दिन:

    • सुबह स्नान करके पूजन करें

    • प्रतिमा को जल में विसर्जित करें

    • ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें

    • फिर स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत खोलें

Hartalika Teej
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शिव-पार्वती की अमर प्रेम कथा (विस्तृत संस्करण)

पार्वती जी का प्रश्न

एक बार कैलाश पर्वत पर बैठे हुए माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रश्न किया: “हे महादेव! मुझे वह पवित्र व्रत बताइए जिसके प्रभाव से मुझे आपका साथ मिला। मैं जानना चाहती हूँ कि किस पुण्य के प्रभाव से मैंने आपको पति रूप में प्राप्त किया।”

शिव जी का उत्तर

भगवान शिव मुस्कुराए और बोले: “हे पार्वती! तुमने पूर्वजन्म में हिमालय पर्वत पर अत्यंत कठोर तपस्या की थी। तुम्हारे पिता हिमालय ने तुम्हारा विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, परंतु तुम तो मुझे ही अपना पति चुनना चाहती थी।”

पार्वती जी की तपस्या

“तुम अपनी सखी के साथ घने वन में चली गईं और वहाँ बालू के शिवलिंग की स्थापना करके कठोर तपस्या आरंभ की। भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन तुमने अन्न-जल का पूर्ण त्याग करके मेरी आराधना की। रातभर जागकर तुमने मेरे नाम का जाप किया।”

वरदान की प्राप्ति

“तुम्हारी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मैं तुम्हारे सामने प्रकट हुआ और बोला: ‘हे वरानने! मैं तुमसे अत्यंत प्रसन्न हूँ। वरदान माँगो।’ तब तुमने कहा: ‘हे देवाधिदेव! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आप ही मेरे पति बनें।’ मैंने तथास्तु कहकर तुम्हें वरदान दिया।”

हरतालिका नाम की कथा

शिव जी आगे बोले: “उसी दिन से इस व्रत का नाम ‘हरतालिका’ पड़ा। ‘हरत’ का अर्थ है ‘हरण करना’ और ‘तालिका’ का अर्थ है ‘सखी’। तुम्हारी सखी ने तुम्हें हरण करके वन में ले जाया था, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा।”

व्रत के फल और लाभ

सांसारिक फल

  • अखंड सौभाग्य की प्राप्ति

  • पति की दीर्घायु

  • संतान सुख

  • धन-धान्य की वृद्धि

  • सभी कष्टों का निवारण

आध्यात्मिक फल

  • सभी पापों से मुक्ति

  • मोक्ष की प्राप्ति

  • भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा

  • आत्मिक शांति और सुख

आरती और मंत्र

शिव-पार्वती आरती

“ॐ जय पार्वती माता, मैया जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता…”

महामृत्युंजय मंत्र

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

निष्कर्ष

हरतालिका तीज का व्रत न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह स्त्री की दृढ़ इच्छाशक्ति और विश्वास की शक्ति का प्रतीक भी है। माता पार्वती की तरह हर स्त्री में अपने लक्ष्य को पाने की अदम्य इच्छा और संकल्प होना चाहिए। इस व्रत के माध्यम से हम न केवल भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने अंदर की शक्ति को भी पहचानते हैं।

बोलिए हरतालिका माता की जय!
शिव-पार्वती की जय!
सबके सुहाग की लंबी उम्र की कामना करते हुए!


नोट: यह जानकारी धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं पर आधारित है। अलग-अलग क्षेत्रों में पूजन विधि में भिन्नता हो सकती है।

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