“भारत का नया ऑनलाइन गेमिंग बिल: पूर्ण प्रतिबंध, नौकरियों का संकट और गेमर्स के लिए मायने”

“भारत का नया ऑनलाइन गेमिंग बिल: पूर्ण प्रतिबंध, नौकरियों का संकट और गेमर्स के लिए मायने”

"भारत का नया ऑनलाइन गेमिंग बिल: पूर्ण प्रतिबंध, नौकरियों का संकट और गेमर्स के लिए मायने"
“भारत का नया ऑनलाइन गेमिंग बिल: पूर्ण प्रतिबंध, नौकरियों का संकट और गेमर्स के लिए मायने”

भारत में ऑनलाइन गेमिंग का भविष्य: नए बिल ने बढ़ाई चिंताएं

भारत सरकार ने हाल ही में ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिए एक नया बिल संसद में पेश किया है। इसका नाम है ‘ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक’। इस बिल का मुख्य उद्देश्य पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स पर रोक लगाना और ई-स्पोर्ट्स तथा सामाजिक गेम्स को बढ़ावा देना है। इस बिल ने पूरे गेमिंग उद्योग में हलचल मचा दी है।

बिल की मुख्य बातें क्या हैं?

इस नए विधेयक में कुछ सख्त प्रावधान शामिल हैं। अगर कोई कंपनी पैसे वाले ऑनलाइन गेम्स की सेवाएं प्रदान करती है, तो उसे तीन साल तक की जेल या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। ऐसे गेम्स का विज्ञापन करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान है – दो साल की जेल या 50 लाख रुपये का जुर्माना।

Online gaming ban India
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एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह बिल साधारण गेमर्स को अपराधी नहीं मानता। सजा का प्रावधान केवल गेम प्रदान करने वालों और प्रचार करने वालों के लिए है। बिल में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे गेम्स से जुड़े लेन-देन पर रोक लगाएं।

गेमिंग उद्योग का आकार कितना बड़ा है?

भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार बहुत बड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 45 करोड़ से ज्यादा लोग ऑनलाइन गेम खेलते हैं। इस उद्योग का कुल मूल्यांकन 25 अरब डॉलर के आसपास है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस क्षेत्र में 2 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

रीयल मनी गेमिंग (आरएमजी) इस उद्योग की रीढ़ की हड्डी है। 2024 में कुल गेमिंग राजस्व का लगभग 85% हिस्सा आरएमजी से आने का अनुमान है, जो लगभग 27,438 करोड़ रुपये के बराबर है। देश में 1100 से अधिक गेमिंग कंपनियां काम कर रही हैं, जिनमें 400 से ज्यादा स्टार्टअप शामिल हैं।

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उद्योग पर क्या होगा प्रभाव?

ड्रीम11, गेम्स24×7, और माई11सर्कल जैसी बड़ी कंपनियां इस बिल से सीधे प्रभावित होंगी। इन कंपनियों ने अपनी चिंता जाहिर की है कि इस तरह का पूर्ण प्रतिबंध उद्योग के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रतिबंध से कई नकारात्मक प्रभाव होंगे। लगभग 2 लाख लोगों की नौकरियां जोखिम में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपये का टैक्स नुकसान हो सकता है। विदेशी निवेश (एफडीआई) में भी कमी आएगी, जो currently 25,000 करोड़ रुपये के आसपास है।

सबसे बड़ी चिंता यह है कि प्रतिबंध लगने से गेमर्स अवैध और अनियंत्रित अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा होगा।

सरकार की चिंताएं क्या हैं?

सरकार की मुख्य चिंताएं गेमिंग की लत, वित्तीय नुकसान और अवैध गतिविधियां हैं। कई मामलों में गेमर्स के बड़ी रकम गंवाने और आत्महत्या तक करने की घटनाएं सामने आई हैं। पैसे वाले गेम्स का इस्तेमाल money laundering और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है।

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सरकार का लक्ष्य ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक गेम्स को बढ़ावा देते हुए जुआ जैसी गतिविधियों पर रोक लगाना है। बिल में एक नियामक प्राधिकरण बनाने का भी प्रस्ताव है, जो तय करेगा कि कोई गेम पैसों वाला गेम है या नहीं।

गेमर्स पर क्या असल होगा?

एक सर्वे के अनुसार, भारत में 58% महिलाएं और 74% पुरुष प्रति सप्ताह 12 घंटे से अधिक समय गेमिंग में बिताते हैं। उत्तर भारत में 54% महिलाएं गंभीरता से गेमिंग करती हैं, जबकि पश्चिम भारत में यह आंकड़ा 74% है।

नए बिल से सामान्य गेमर्स पर कोई सीधा असल नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनके लिए कोई दंड का प्रावधान नहीं है। हालांकि, अगर उनके पसंदीदा पैसे वाले गेम्स बंद हो जाते हैं, तो वे निराश हो सकते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सख्त विनियमन बेहतर विकल्प हो सकता है।

आगे की राह क्या है?

यह बिल अभी संसद में चर्चा के विभिन्न चरणों से गुजरेगा। गेमिंग कंपनियों और उद्योग संघों ने सरकार से इस मुद्दे पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। अखिल भारतीय गेमिंग महासंघ ने गृह मंत्री को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है।

अंतिम निर्णय संसद के हाथ में है। जो भी हो, यह स्पष्ट है कि भारत का ऑनलाइन गेमिंग परिदृश्य आने वाले समय में महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरने वाला है।

यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। कानूनी मामलों में विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

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