शाहरुख से लेकर विक्रांत मैसी तक: 71वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में हिंदी फिल्मों का जलवा
शुक्रवार का दिन हिंदी सिनेमा के लिए काफी खास रहा। वजह थी – 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा। हर साल की तरह इस बार भी कई शानदार फिल्मों और कलाकारों को उनके बेहतरीन काम के लिए सम्मानित किया गया, लेकिन इस बार खास बात ये रही कि सुपरस्टार शाहरुख खान को उनके करियर का पहला नेशनल अवॉर्ड मिला। फिल्म ‘जवान’ के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला, जिसने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाया था, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी थी।
‘जवान’

शाहरुख की ‘जवान’ एक एक्शन से भरपूर फिल्म थी जिसमें उन्होंने डबल रोल निभाया था – एक पिता और एक बेटे का। दोनों ही किरदारों को उन्होंने इतनी खूबसूरती से निभाया कि दर्शक सीट से हिल तक नहीं पाए। ये फिल्म समाजिक संदेशों और देशभक्ति के भाव से भरपूर थी, और अब इसका सम्मान राष्ट्रीय पुरस्कार से हुआ है।
‘12वीं फेल’
इसके अलावा विक्रांत मैसी को फिल्म ‘12वीं फेल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसे छात्र की भूमिका निभाई है जो जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए यूपीएससी परीक्षा पास करने का सपना देखता है। उनकी ये परफॉर्मेंस बहुत ही दिल को छू लेने वाली थी और यह अवॉर्ड वाकई उनके मेहनत की सच्ची पहचान है।
‘कटहल’
‘कटहल’ जैसी हल्की-फुल्की लेकिन सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म को भी इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार में जगह मिली। सान्या मल्होत्रा अभिनीत इस फिल्म को बेस्ट हिंदी फिल्म का अवॉर्ड मिला है। इसकी कहानी और सादगी दर्शकों को खूब पसंद आई।
‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’

रानी मुखर्जी की फिल्म ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ को भी इस बार सम्मान मिला। रानी ने इस फिल्म में एक भारतीय मां का किरदार निभाया है, जो विदेश में अपने बच्चों को सिस्टम से लड़कर वापस पाने की कोशिश करती है। उनकी भावनात्मक परफॉर्मेंस ने हर किसी की आंखें नम कर दी थीं, और अब उन्हें इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है।
‘द केरला स्टोरी’
विवादों में घिरी फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ को सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी का पुरस्कार दिया गया। फिल्म की कहानी, लोकेशन और सिनेमैटिक प्रजेंटेशन को दर्शकों और आलोचकों – दोनों ने सराहा।
‘सिर्फ एक बंदा काफी है’
‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ में मनोज बाजपेयी का कोर्टरूम ड्रामा एक अलग ही अनुभव था। दीपक किंगरानी द्वारा लिखे गए डायलॉग्स इतने प्रभावशाली थे कि उन्हें बेस्ट डायलॉग का अवॉर्ड मिल गया। मनोज बाजपेयी का अभिनय और फिल्म की स्क्रिप्ट – दोनों ही बेहद सराहनीय रहे।
‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’
‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ – करण जौहर की इस फिल्म को बेस्ट पॉपुलर फिल्म प्रोवाइडिंग होलसम एंटरटेनमेंट का पुरस्कार मिला। रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की केमिस्ट्री और फिल्म का भव्य सेटअप हर किसी को भाया था। साथ ही फिल्म के गाने ‘ढिंढोरा बाजे रे’ को बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए सम्मान मिला।
‘सैम बहादुर’

विक्की कौशल की ‘सैम बहादुर’ को भी इस बार 3 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। मेकअप, कॉस्ट्यूम और सामाजिक मूल्यों को प्रमोट करने के लिए इसे अवॉर्ड्स से नवाजा गया। विक्की की यह फिल्म देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के जीवन पर आधारित थी, और उनके किरदार को विक्की ने बड़ी खूबसूरती से निभाया।
‘एनिमल’
रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ को बेस्ट साउंड डिजाइन का अवॉर्ड मिला। इस फिल्म की तकनीकी गुणवत्ता और ध्वनि का प्रभाव वाकई काबिले तारीफ रहा।
इस बार के नेशनल अवॉर्ड्स में हिंदी सिनेमा ने कई मोर्चों पर बाज़ी मारी – एक्टिंग, डायरेक्शन, स्क्रीनप्ले, साउंड, सिनेमेटोग्राफी और कोरियोग्राफी हर क्षेत्र में हिंदी फिल्मों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
शाहरुख खान को उनके 33 साल के करियर में पहला नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। साउथ सुपरस्टार मोहनलाल, दिग्गज अभिनेता कमल हासन, बॉलीवुड से अनिल कपूर, काजोल समेत कई कलाकारों ने उन्हें बधाई दी।
Congratulations to all the winners of the National Film Awards.
A special salute to Urvashi and Vijayaraghavan on their well-deserved honours for their powerful performances.
Warm congratulations to Shah Rukh Khan, Vikrant Massey, and Rani Mukerji on their wins.
Also,…
— Mohanlal (@Mohanlal) August 1, 2025
Congratulations to @iamsrk on your National Award for Jawan, a recognition long overdue for your stellar impact on world cinema.
12th Fail was a masterpiece that moved me deeply. It dignified struggle and inspired millions. Congratulations Vidhu Vinod Chopra and @VikrantMassey…
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) August 2, 2025
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सिर्फ फिल्मों की गुणवत्ता को नहीं बल्कि कंटेंट, भावनाओं और दर्शकों के साथ जुड़े रिश्ते को भी सलाम करते हैं। ये पुरस्कार उन कहानियों को सामने लाते हैं जो सच्चे मायनों में समाज का आइना हैं। इस बार हिंदी सिनेमा ने दिखा दिया कि अगर कहानी सच्ची हो और अभिनय दिल से हो, तो हर मंच पर पहचान मिलती है – चाहे वो सिनेमा हॉल हो या नेशनल स्टेज।
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